क्या हो अगर दुनिया में पैसा ना हों । World Without Money?

सोचिए कि आप किसी भी चीज़ के मालिक ना हों। क्या आप ये सोच भी सकते हैं। पैसे के बिना दुनिया कैसी नज़र आएगी? 

क्या समाज बेहतर हो जाएगा ? क्या इससे लालच और भूख खत्म हो जाएगी ? क्या हम ज्यादा खुश रहेंगे ?आपको आपकी ज़रूरत की चीजें कैसे मिलेंगी? 

आप पढ़ रहे हैं ‘‘क्या हो अगर’’ और ये है क्या हो अगर दुनिया में पैसा ना हो? 


आप जो देख सकते है ये है हमारी आज की दुनिया। पर हमेशा से सब कुछ ऐसा नहीं है। कई हज़ार साल पहले, हम शिकार पर जीने वाली एक प्रजाति हुआ करते थे। 

शिकार पर नज़र रखते थे, खाना जुटाते थे, और जितना उठा सकते थे, उतना ही बोझ रखते थे। लेकिन इसके बाद हमने कृषि पर हाथ आज़माए, और अपना खाना उगाना सीख लिया। 

हमने भटकना बंद कर दिया और व्यवस्थित समुदायों में एक जगह पर बसना शुरू कर दिया। जीवन पहले से आसान हो गया था पर हम अब भी और ज़्यादा की चाहत रखते थे। तब हमने अदला-बदली यानी बार्टर शुरू किया। 

अब सीधे कुछ साल आगे बढ़ते हैं, जब 600 बी.सी में पहला सिक्का बनवाया पैसा भगवान बन गया। और आज भी पैसा ही सबसे अहम चीज़ है। 

तो अगर पूरी दुनिया अचानक कंगाल हो जाए तो आपको कैसा लगेगा? (World Without Money?) :-

हम समझ सकते हैं कि बगैर पैसे की दुनिया की कल्पना कर पाना आसान नहीं है, इसलिए हमने खुद ही इसकी कल्पना करने का मुश्किल काम आपके लिए कर दिया। 

एक बात तो तय है, लूट और अपराध तेज़ी से बढ़ जाएंगे। इंसानों की ज़रूरतें होती हैं। हमें भूख लगती है, ठंड लगती है, और जलन होती है। 

कानून और अर्थव्यवस्था से हम काबू में रहते हैं। और ये बात ध्यान में रहती है कि कौन सी चीज़ें हमारी हद में हैं और कौन सी चीज़ों के बगैर गुज़ारा किया जा सकता है। 

लेकिन अचानक हर चीज़ की कीमत खत्म हो जाती है। और ऐसे में चीज़ों पर नज़र रखने का या कानून का पालन करवाने का काम जिसका भी हो, अब उसे इस काम के लिए वेतन नहीं मिलने वाला। 

कोई भी मुफ्त में काम नहीं करना चाहेगा। वेतन (Money In Hindi) के बिना, हमारी कई अहम सेवाओं के लिए लोग नहीं होंगे। ना पुलिस होगी, ना दमकलकर्मी, ना डॉक्टर, ना ही सेना।  

लेकिन तकनीक का क्या? बिजली मुफ्त में नहीं आती। ना ही नलों में पानी, और ईंधन तो बिल्कुल भी नहीं। और यही बात सेल सेवाओं और इंटरनेट पर भी लागू होती है। 

तो हमारी दुनिया एक अंधेरी, अराजक जगह से ज़्यादा कुछ नहीं रहेगी। ऐसे में जब सबसे ताकतवर शख्स ही जीवित रह सेकगा, बंदूक रखने वालों का पलड़ा भारी होगा।

ये सभी बंदूकधारी अपने बचाव के लिए साथ रहा करेंगे ताकि कम खतरों में बड़े फायदों का लुत्फ उठा सकें। चूंकि इंसान गुटों में रहना सीख रहे होंगे, हम समझ सकते हैं कि समाज किस तरफ जा रहा होगा। 

सड़कों पर निकलना सुरक्षित नहीं होगा। इसकी काफी संभावना होगी कि आप पर कोई घात लगाए बैठा हो और कोई भी लेने लायक चीज़, कभी भी लूटी जा सकती हो। 

तो ऐसे में सुरक्षित जगहों में मज़बूत दल बनाए जाएंगे। लोग आस पास के समुदायों पर रेड डालने या पड़ोसियों के साथ साझेदारी के लिए दल भेजा करेंगे। 

हमें बार्टर सिस्टम को दोबारा लागू करना होगा। लेकिन आज के समय में ये करना ज़्यादा मुश्किल होगा। पहले, लोगों के पास कम तरह के सामान होते थे, जिससे अदला बदली करना आसान होता था। 

लेकिन चूंकि अब हम कई अलग अलग चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं, ऐसे में हर सामान का एक्सचेंज रेट तय कर पाना मुश्किल होगा। (World Without Money?)

अब बात सेब के बदले संतरे लेने जितनी आसान नहीं है। क्या कश्मीरी लाल सेब की तुलना रसायनिक खाद में उगे संतरे से हो सकती है? 

क्या हो अगर आपका सेब ऑर्गैनिक हो और वो संतरा लैब में रसायनिक खादों से उगाया गया हो? नकली सामानों से हम खुद को कैसे बचा पाएंगे? 

ये कुछ ऐसी चिंताएं हैं जिन पर बहुत हद तक पैसे (Why Money Is Important?) या मुद्रा के ज़रिए काबू पाया गया है। लेकिन शायद बगैर मुद्रा की दुनिया से हमें हमारे समाज को नए सिरे से दोबारा बना पाने का एक मौका मिले। 

आज, हम इतनी फसल का उत्पादन करते हैं कि हर किसी का पेट भर सके। लेकिन फिर भी कुछ लोग भूखे सोते हैं। और दुनिया में अब भी इतनी जगह है कि हर किसी के सर पर छत हो सके। पर तब भी कुछ लोग बेघर हैं। 

पैसे के बगैर,(World Without Money?) हम कम में गुज़ारा करना सीख सकते हैं। अगर पैसा नहीं होगा, तो गरीबी भी नहीं होगी। हमें लोगों की भलाई के लिए मुफ्त में काम करके अच्छा महसूस हो सकता है। 

ज़ाहिर है, ज़रूरी नहीं कि बेहतर दुनिया के बारे में सोचते वक़्त ‘‘क्या हो अगर’’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाए। 

व्यापार के ज़रिए, हमने सहयोग करना सीखा है, और जब मेंहनत की कीमत मिले, तो हमें नई खोज करने के लिए बढ़ावा मिलता है। 

ऐसे में चुनौती है मौजूदा सिस्टम में सुधार लाने की, और इस सिस्टम में रहने वाले लोगों को सशक्त बनाने की। 

क्या आपको लगता है हम ये कर सकते हैं? हमें शुरुआत कहां से करनी चाहिए? आपका इस बारे में क्या सोचना है, हमें ज़रूर बताएं।

इस वीडियो को शेयर करें, और हमसे ‘‘क्या हो अगर’’ के ज़रिए जुड़ें, यहां आपके लिए बहुत कुछ है। 

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