क्या एक ब्लैक होल एक दिन हम सबको निगल सकता है? ऐसे लाखों ब्लैक होल हैं जो इस इंतज़ार में बैठे हैं। और अगर हम ग़लती से एक ब्लैक होल बना लेते हैं तो बेहतर होगा कि आप अपनी कमर की पेटी बांध लें। क्योंकि परेशानी आपको निगलने वाली है वाकई!
अगर एक ब्लैक होल हमें निगल लेता है तो हमें क्या दिखेगा? क्या पृथ्वी सूरज और एक ब्लैक होल के चक्कर लगा सकती है? और क्या हम स्पगेटिफ़िकेशन यानी नूडल इफेट से बच सकेंगे?
आप देख रहे हैं ‘‘क्या हो अगर’’ और ये है क्या हो अगर एक ब्लैक होल पृथ्वी को निगल लें? :-
पृथ्वी से केवल 3,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक ब्लैक होल है जिसे खुली आंखों से देखा जा सकता है। अच्छी बात ये है कि हम इस स्टेलर ब्लैक होल और दूसरे ब्लैक होल्स से अच्छी ख़ासी दूरी पर हैं।
हमारी गैलेक्सी में ही लगभग 10 करोड़ ऐसे ब्लैक होल्स हैं जिनके बारे में हम जानते हैं। ये उन सुपरनोवी का बचा हुआ हिस्सा हैं जो तब बनते हैं जब सूरज से 10 से 20 गुना बड़े तारे अपने आप में समा जाते हैं।
स्टेलर ब्लैक होल्स काफ़ी आम होते हैं और इनका डायमीटर लगभग 16 किलोमीटर (10 मील) होता है। और फिर आता है इससे भी बड़ा कुछ सुपरमैसिव यानी बेहद विशाल ब्लैक होल। इनका डायमीटर लगभग हमारे सौर मंडल के बराबर होता है और वज़न एक लाख सूरज के कुल वज़न के बराबर। इनमें से एक सैजिटेरियस ए, ठीक हमारी गैलेक्सी के बीचों-बीच है।
तो हमारे लिए एक ब्लैक होल के कितने करीब होना खतरनाक साबित हो सकता है? :-
तक़नीकी रूप से अगर 1 मिलीमीटर (.04 इंच) की पिन जितना बड़ा एक ब्लैक होल पृथ्वी के ज़्यादा नज़दीक हो तो ये हमें बर्बाद कर सकता है। इसके पीछे की वजह है इसका घना भार और तेज़ गुरुत्वीय खिंचाव।
हमारा ज़िंदा रहना पूरी तरह से इस पर निर्भर करता है कि हम घटना क्षितिज यानी इवेंट हॉराइज़न को पार कर चुके हैं या नहीं। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि ये ब्लैक होल की वो जगह है जहां से आप वापसी नहीं कर सकते।
इस बिंदु के पार आपको बचने के लिए प्रकाश की गति से तेज़ भागना होगा। और ये होना तो मुश्किल है। अगर पृथ्वी ज़्यादा क़रीब पहुंच जाती है तो ब्लैक होल के सबसे नज़दीक वाला हिस्सा उसकी तरफ़ खिंचने लगेगा।
हमारा वातावरण वैक्यूम होने लगेगा। और फिर पृथ्वी के बड़े-बड़े टुकड़े टूट कर उसी दिशा में जाने लगेंगे। अगर पृथ्वी ब्लैक होल(क्या हो अगर एक ब्लैक होल पृथ्वी को निगल लें?)के ऑर्बिट में गिर पाती है तो हमें टाइडल यानी ज्वारीय गर्मी का एहसास होगा।
पृथ्वी पर लगने वाला तेज़ गुरुत्वीय खिंचाव हमारे ग्रह का आकार बिगाड़ देगा। इससे भारी मात्रा में अंदरूनी घर्षण पैदा होगा जिससे पृथ्वी का कोर भयानक रूप से गर्म हो जाएगा। इससे पृथ्वी-को हिला देने वाले भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट और जानलेवा सुनामियां आने की संभावना होगी।
यानी तबाही लाने वाली तीन सबसे बड़ी ताक़तें। आख़रिकार, पृथ्वी और इस नूडल इफ्केट में स्वादिष्ट चीज़ या सब्ज़ियां नहीं होंगी। मान लेते हैं कि आप एक सुपरहीरो हैं और आप इस ब्लैक होल का सामना करने का फैसला करते हैं।
ख़ैर, आपके हाथ आपके पैरों के ज़्यादा क़रीब होंगे जिससे आपका शरीर सीधी दिशा में खिंचेगा और पिचकता चला जाएगा। तो उम्मीद करते हैं आपकी सुपर पावर लचीलापन हो। एक औसत आकार के स्टेलर ब्लैक होल के लिए घटना क्षितिज से कई 100 किलोमीटर दूर स्पगेटिफ़िकेशन हो सकता है।
लेकिन एक सुपर मैसिव ब्लैक होल के लिए वैज्ञानिकों का मानना है कि ये इनके आकार के चलते घटना क्षितिज के अंदर ही होगा। आख़रिकार, ब्लैक होल के अंदर जाने वाली किसी भी आकार की चीज़ अलग-अलग अणुओं की एक लड़ी में बदल जाएगी। हर वो चीज़ जो इसे पार करेगी उसके साथ ये ही होगा। लोग, ग्रह, तारे, सब कुछ।
बदकिस्मती से, हमारा पूरा सौर मंडल बर्बाद हो जाएगा। सूरज और हमारे कई ग्रहों के बीच का अच्छा ख़ासा संतुलन बिगड़ जाएगा जिससे ये एक दूसरे से टकरा सकते हैं। और इस सब के ऊपर हमारी एस्टेरॉयड बेल्ट इसकी तरफ़ खिंचने लगेगी।
जिन 5,52,894 एस्टेरॉयड्स के बारे में हम जानते हैं उनमें से लगभग 200 एस्टेरॉयड्स 100 किलोमीटर (62 मील) के दायरे में मौजूद हैं। तो अगर एक भी हमसे टकरा जाता है तो हम स्पगेटी बनने के पहले ही मर चुके होंगे।
सच कहूं तो, मैं नहीं जानता की इनमें से ज़्यादा बुरा क्या है। हमारे सौर मंडल में मौजूद सारा मैटर ब्लैक होल(क्या हो अगर एक ब्लैक होल पृथ्वी को निगल लें?) के इर्द-गिर्द बनी अक्रीशन डिस्क में शामिल हो जाएगा। जैसे-जैसे ब्लैक होल मैटर को निगलेगा इससे भारी मात्रा में रेडिएशन निकलेगी।
तो अगर हम किसी तरह से सारे एस्टेरॉयड्स से बच भी गए तो हो सकता है कि हम रेडिएशन से मर जाएं। आप मानें या ना मानें अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे ख़ास सर्कमबाइनरी ग्रहों की खोज की है जो 2 तारों के चक्कर लगाते हैं।
हालांकि ये ब्लैक होल और हमारे सूरज के साथ संभव हो सकता है पर तेज़ टाइडल ताक़तों के चलते संभावना है कि हमारा ग्रह रहने लायक नहीं बचेगा। और इससे भी बुरा हो सकता है कि हम ऑर्बिट के बाहर हो जाएं और किसी वक़्त पर सूरज या ब्लैक होल हमें निगल ले।
माफ़ कीजिएगा, लेकिन ऐसा कोई भी नतीजा नहीं है जिसमें हमारी जीत हो रही हो। लेकिन, और ये एक बड़ा लेकिन है शायद हमें एक हाइपर रीइन्फ़ोर्स्ड स्पेस शटल यानी अंतरिक्ष यान में ख़ुद को बचाने का एक तरीक़ा मिल जाए।
अगर हम किसी तरह घटना क्षितिज को पार कर लेते हैं तो हमें इससे भी ज़्यादा अजीब चीज़ों का सामना करना पड़ सकता है। जिस विज्ञान को आज हम जानते हैं वो बदल जाएगा। गुरुत्वाकर्षण, प्रकाश की गति और यहां तक कि जिस तरह से अणु आपस में बंधे होते हैं या प्रतिक्रिया देते हैं ये सब बदल जाएगा।
सच ये है कि हम नहीं जानते कि क्या होगा। हमें ब्लैक होल(क्या हो अगर एक ब्लैक होल पृथ्वी को निगल लें?) से कोई जानकारी नहीं मिल सकती। क्या हम दूसरे आयाम में खिंचने लगेंगे? किसी समानांतर दुनिया तक पहुंच जाएंगे? या शायद हम पहले ही एक ब्लैक होल के अंदर मौजूद हैं।
पर जो बात हम जानते हैं वो ये है कि ऐसी दिलचस्प जानकारी के लिए आपको पढ़ते रहना है ‘‘क्या हो अगर’’ .
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