सोचिए कि आप एक रात उठते हैं और देखते हैं कि आसमान में चांद की जगह मंगल या शनि जैसा कोई ग्रह है। इससे हमारी पृथ्वी एक बाहरी दुनिया में ज़रूर बदल जाएगी। और ऐसा केवल बदले हुए नज़ारे की वजह से नहीं होगा।
चांद की जगह किसी और ग्रह के आजाने से पृथ्वी के ऑर्बिट पर इसका क्या असर होगा? चांद की जगह किस ग्रह को लाना सुरक्षित होगा? और कौन- सा ग्रह सबसे ज्यादा ख़तरनाक होगा ?
आप देख रहे हैं ‘‘क्या हो अगर’’ और ये है क्या हो अगर हर ग्रह हमारे चांद की जगह ले?
मौसम का पूर्वानुमान कर पाने के लिए समुद्री प्रवाह के लिए और ज़रूरी पोषक तत्वों के एक से दूसरी जगह तक पहुंचने के लिए हमें चांद का शुक्रिया अदा करना चाहिए।
चांद की वजह से पृथ्वी की तिरछी धुरी स्थिर बनी रहती है। अगर चांद को हटा दिया जाए तो पृथ्वी बुरी तरह से डगमगाने लगेगी। और इससे वो होगा जिसे हम जलवायु परिवर्तन की हदें पार होना कह सकते हैं।
पर हम चांद को ऐसे ही छुट्टी पर नहीं भेज सकते। हम इसकी जगह सौर मंडल के किसी और हिस्से से कोई ग्रह लाएंगे। तो क्या होगा अगर हम चांद की जगह इससे 41 गुना बड़ा एक ग्रह ले आएं?
उस नाटकीय स्थिति की बात करने से पहले चलिए प्लूटो की बात कर लेते हैं। प्लूटो हमारे मौजूदा चांद से ज़्यादा अलग नहीं दिखता। हालांकि ये छोटा होता है और ये बात पृथ्वी के लिए अच्छी ना होती।
ऐसा इसलिए क्योंकि प्लूटो का गुरुत्वीय खिंचाव चांद से कमज़ोर होगा। पृथ्वी बुरी तरह से डगमगाने लगेगी। और इससे जलवायु में भारी बदलाव आएंगे। आपको हर तरह की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना होगा।
चांद का गुरुत्वीय खिंचाव हमारे रोज़ाना के समुद्री ज्वारों के लिए ज़िम्मेदार है। क्योंकि प्लूटो हमारे चांद से छोटा है हमारे समुद्री ज्वार कमज़ोर होने लगेंगे। इससे ज़रूरी ईकोसिस्टम्स यानी पारिस्थितिकी तंत्रों पर असर पड़ेगा। तो ये था प्लूटो का चांद की जगह पर आना।
कैसा रहेगा अगर चांद से थोड़ा बड़ा ग्रह हमारे चांद की जगह ले? बुध ग्रह अपने स्लेटी रंग और एस्टेरॉयड से बने गड्ढों की वजह से देखने में बिल्कुल हमारे चांद जैसा होगा।
और ये आकार में केवल 1.5 गुना बड़ा है तो हमारे ज्वारों के सिस्टम यानी टाइडल सिस्टम और जलवायु पर इसका असर भी उतना ख़तरनाक नहीं होगा।
सौर मंडल के सभी ग्रहों में से बुध ग्रह हमारे चांद की जगह लेने के लिए सबसे ज़्यादा सुरक्षित ग्रह होगा।
लेकिन मैं मंगल ग्रह के बारे में ये नहीं कह सकता। हमारे रात के आसमान में लाल ग्रह देखने में बहुत ख़ूबसूरत लगेगा।
इसकी सतह पर मौजूद सारा आयरन ऑक्साइड लाल रंग के साथ चमकेगा। तो अब रात के वक़्त खिड़की से बाहर झांकने में कोई सफ़ेद रोशनी नहीं नज़र आने वाली।
बल्कि, हर चीज़ नहाई हुई होगी एक डरावने सुर्ख़ लाल रंग में। मंगल के मज़बूत गुरुत्वीय खिंचाव से सुनामियां छोटी होंगी। पर इससे आम लहरें और बड़ी हो जाएंगी। और क्योंकि मंगल ग्रह की वजह से तेज़ ज्वार उठेंगे पृथ्वी के घूमने की रफ्तार कम होने लगेगी।
पृथ्वी के दिन लंबे होने लगेंगे। उम्मीद करता हूं कि काम करने के घंटे हफ्ते में केवल 40 ही रहेंगे। क्योंकि दिन के 16-घंटे काम करना सुनने में ज़्यादा दिलचस्प नहीं है।
आगे बढ़ते हैं हमारे रात के आसमान में शुक्र ग्रह के होने से हमें शायद कभी अंधेरा देखने को ना मिले। शुक्र हमारे सौर मंडल का सबसे रोशन ग्रह है। ये चांद से 60% ज़्यादा रोशनी रिफ्लेक्ट करेगा।
और क्योंकि ये आकार में चांद से 3.5 गुना बड़ा है इससे पृथ्वी एक बाइनरी सिस्टम में चली जाएगी। पृथ्वी और शुक्र ग्रह दोनों एक दूसरे के चक्कर लगाने लगेंगे। ये ख़ूबसूरत होगा और भयानक भी।
एक बाइनरी सिस्टम के हालात बनने से आमतौर पर ग्रह या तो टकराते हैं या एक दूसरे से मिल जाते हैं।
वरुण और अरुण ग्रह दोनों ही बर्फ़ीले ग्रह हैं और आकार में मिलते-जुलते हैं। हमारे आसमान का एक बड़ा हिस्सा एक हरे-नीले ग्रह से भर जाएगा।
हां, बस फ़र्क ये है कि अरुण से बेहद भयानक बदबू भी आएगी। क्योंकि अरुण और वरुण ग्रह चांद के मुक़ाबले 14 से 15 गुना बड़े हैं पृथ्वी के घूमने पर और टाइडल सिस्टम्स पर इनका असर भी बहुत ज़्यादा होगा।
बीच हाउसेस को ऊंचे पहाड़ों पर बनाना पड़ेगा ताकि वो इन विशाल लहरों से दूर रह सकें।
अब, आसमान में शनि को देखना मेरे लिए सबसे पसंदीदा होगा। इसका फ़ीका पीला रंग और छल्ले कितने ख़ूबसूरत दिखेंगे। लेकिन कुछ दिक्क़तें भी होंगी।
क्योंकि शनि इतना बड़ा है पृथ्वी जल्द ही इसका चांद बन जाएगी। और अगर पृथ्वी शनि के चक्कर लगाने लगती है तो ये वो पृथ्वी नहीं रह जाएगी जिसे हम जानते हैं।
तो अब आगे बढ़ते हैं सबसे बड़े खिलाड़ी चांद से 41 गुना बड़े आकार की वजह से आप इस गैस के गोले के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों को भी नहीं देख सकेंगे।
ठीक जैसा शनि के केस में हुआ था पृथ्वी बृहस्पति का चांद बन जाएगी। पर इस बार हालात और भी ख़राब होंगे।
क्योंकि बृहस्पति इतना बड़ा है पृथ्वी का जो हिस्सा बृहस्पति के सबसे नज़दीक है वहां सबसे दूर वाले हिस्से के मुकाबले गुरुत्वीय खिंचाव ज़्यादा होगा।
इससे पृथ्वी का आकार बिगड़ने लगेगा। इस तरह के खिंचाव से बार बार ज्वालामुखी विस्फोट होंगे और भयानक भूकंप आएंगे।
बृहस्पति का गुरुत्वीय खिंचाव पृथ्वी को बर्बाद कर देगा। तो जब तक ये है इस नज़ारे का लुत्फ उठाइए। मैंने नहीं सोचा था कि मेरा दिन ऐसा जाने वाला है। क्या इससे आपको याद आया जब पृथ्वी बृहस्पति से टकराई थी।
वो एक भयानक किस्सा था। तो इस काल्पनिक कहानी को जानने के लिए पढ़ते रहें ‘‘क्या हो अगर’’ .
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