ऐसे अरबों ग्रह हैं जिनमें थ्योरी के मुताबिक़ जीवन पनप सकता है। पर अब तक में हमें कभी कोई एलियन्स यानी दूसरे ग्रहों के जीव नहीं मिले हैं।
शायद इसकी वजह ये है कि हम ग़लत जगहों पर इन्हें ढ़ूंढ़ रहे थे। क्या हो अगर एलियन जीवन वैसा बिल्कुल ना हो जैसे जीवन को हम जानते हैं?
क्या हो अगर इन्हें पानी की जरूरत ना हों ? या ऑक्सीजन की ? क्या हो अगर ये गर्म तापमान को सह सकते हो ? या बहुत एसिडिक वातावरण में रह सकते हो ? और हमें ये कैसे मिलेंगे ?
आप देख रहे हैं ‘‘क्या हो अगर’’ और ये है क्या हो अगर एलियन जीवन सिलिकॉन पर आधारित हो ?
एक चीज़ है, जो आपके डी.एन.ए एक हीरे और एक रबड़ की बत्तख में आम है। ये सभी कार्बन से बने हुए हैं। कार्बन ब्रह्माण्ड में मौजूद सबसे भरपूर मात्रा वाली चीज़ों में से एक है।
पृथ्वी पर, ये सारे जीवन को बनाने वाली मूलभूत ईंट का काम करते हैं। कार्बन इतना ख़ास इसलिए है कि इसके अणु यानी Atom दूसरे एलिमेंट ऑक्सीजन के साथ चार तरह के बॉण्ड बना सकते हैं और अणुओं की एक लंबी चेन बना सकते हैं जिन्हें पॉलिमर कहा जाता है। पर एक और एलिमेंट है जो ऐसा ही कुछ कर सकता है, सिलिकॉन।
ना केवल सिलिकॉन रसायनिक रूप से कार्बन से मिलता-जुलता है बल्कि ये ब्रह्माण्ड में पाए जाने वाले सबसे भरपूर रसायनों में से एक है। संभावित रूप से, सिलिकॉन ऑर्गैनिक यानी जैव एलियन जीवन को बनाने वाली ईंट हो सकता है। और हमें वो जीवन हमारे अपने सौर मंडल में मिल सकता है।
एक सिलिकॉन पर आधारित यानी सिलिकॉन-बेस्ड जीवन का घर बनने लायक जगह शनि के चांदों में छुपी हो सकती है। शनि के सबसे बड़े चांद टाइटन का वातावरण 95 फ़ीसदी नाइट्रोजन और 5 फ़ीसदी मीथेन से बना हुआ है।
यहां कोई ऑक्सीजन नहीं है और क्योंकि टाइटन को मिलने वाली सूरज की रोशनी पृथ्वी के मुक़ाबले केवल 1 फ़ीसदी है यहां मौजूद सारा पानी पूरी तरह से जम कर ठोस है। लेकिन सिलिकॉन-बेस्ड जीवन को पानी की ज़रूरत नहीं होती।
बल्कि, ये अपने वजूद के लिए तरल मीथेन को गैलेक्टिक अमृत के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ऑक्सीजन का ना होना भी ऐसे जीवन के उभरने के लिए ज़रूरी होता है।
जानते हैं क्यों। जब कार्बन ऑक्सीजन से मिलती है या ऑक्सिडाइज़ होती है जैसे की आग लगने की स्थिति में तब ये गैस यानी कार्बन डाईऑक्साइड में बदल जाती है।
अब, जब सिलिकॉन ऑक्सिडाइज़ होती है तब सिलिकॉन डाईऑक्साइड या सिलिका में बदल जाती है जो कि एक ठोस पदार्थ है, ना कि गैस।
अगर टाइटन के वातावरण में ऑक्सीजन होती तो सिलिकॉन तुरंत ही पत्थर में बदल जाता और उस स्थिति में कोई भी जीवन पनप नहीं सकता है।
पर टाइटन के वातावरण में कोई ऑक्सीजन नहीं है जिससे सिलिकॉन-बेस्ड जीवन को पनपने का ज़्यादा मौका मिलता है।
ये जीवन कैसा देखेगा ? सिलिकॉन प्रजातियां कितनी बड़ी होंगी ? क्या ये अपनी सभ्यता बना सकते हैं ? या अपनी खुद की भाषा बना सकते हैं ?
ज़्यादा संभावना ये है कि, अगर कोई सिलिकॉन बेस्ड जीवन मौजूद हैं तो वो जीवाणुओं के आकार के होंगे ना कि ऐसे जानवरों के आकार के जिन्हें आप अपनी आंखों से देख सकें।
वैज्ञानिकों का आम तौर पर मानना है कि किसी भी सिलिकॉन-बेस्ड जीवन को ज़िंदा रहने के लिए गर्म तापमान की ज़रूरत होगी। तो, काफ़ी संभावना है कि इस जीवन को ढ़ूंढ़ पाने के लिए आपको टाइटन की सतह पर गहराई तक खुदाई करनी होगी।
टाइटन की सतह पर इतनी ठंडक होने की वजह से ऐसे जीव को टाइटन के कोर के पास रहना होगा जहां तापमान गर्म है। और हां, दूसरे भी कई ग्रह हैं। इनमें से कुछ पर नॉन कार्बन बेस्ड जीवन के पनपने के लिए बिल्कुल सही हालात हैं।
क्योंकि सिलिकॉन और ऑक्सीजन साथ नहीं रह पाते एक सिलिकॉन-बेस्ड जीव के शरीर की प्रक्रियाएं हमसे पूरी तरह से अलग होंगी। हम नहीं जानते कि ये मुमक़िन है भी या नहीं जैसे कि हम ये नहीं जानते कि किसी सिलिकॉन-बेस्ड जीव में डी.एन.ए. होगा या नहीं।
पर शायद हमें ‘‘अपना’’ विज्ञान उस एलियन जीवन पर लागू नहीं करना चाहिए जिसे हमने कभी नहीं देखा और उन ग्रहों पर भी नहीं जहां हम कभी नहीं गए। पृथ्वी के हालातों में सिलिकॉन को जीवन शुरू करने का कोई मौक़ा नहीं मिलता।
पर अगर एक दिन एलियन हमसे पृथ्वी पर मिलने आ जाते हैं तो शायद वो जीवों की बनावट से जुड़ी हमारी हर जानकारी को बदल कर रखे देंगे।
लेकिन उस पर चर्चा के लिए देखते रहें ‘‘क्या हो अगर’’ .