क्या हो अगर इंसानों की ‌‌ उंगलियों में नाख़ून ना हों? What If Humans Didn't Have Nails?

नाख़ून होने से हममें से कुछ को खुजली से बड़ा सुक़ून मिलता है। और कुछ नाक साफ़ करने का शौक रखते हैं।

पर हमारे पास नाख़ून क्यों है? हमारी पकड़ पर इसका क्या असर होगा? क्या इससे आपका स्वास्थ्य सुधर सकता हैं?

आप पढ़ रहे हैं ‘‘क्या हो अगर’’ और ये है क्या हो अगर इंसानों की ‌‌ उंगलियों में नाख़ून ना हों? 

       Image credit:- WhatIfShow.com

प्राइमेट्स और दूसरे स्तनधारी जानवरों के बीच नाख़ून एक बड़ा अंतर होते हैं। ये उन पंजों की तरह ही हैं जो दूसरे स्तनधारियों के पास होते हैं पर इनमें ये चपटे होते हैं। 

औसतन आपके हाथों की उंगलियों के नाख़ून 3.47 मिलीमीटर प्रति महीने की दर से बढ़ते है और आपके पैर के नाख़ून इसकी केवल आधी तेज़ी से बढ़ते हैं। 

•लेकिन क्या हो अगर एक दिन आपके नाख़ून अचानक उगने बंद हो जाएं? क्या इससे आपकी ज़िंदगी बदल जाएगी? 

आपके नाख़ून केराटिन की तीन परतों से मिल कर बने होते हैं। केराटिन सेल एक तरह के नियोजित खात्मे से गुज़रते हैं और वो सख़्त रूप लेते हैं जिनसे नाख़ून बनते हैं।

ये तीन परतें शुरुआत में कोमल होती हैं और वक़्त के साथ-साथ कठोर होती जाती हैं। और साथ मिलकर, ये एक सुरक्षा कवच बनाती हैं। इंसानी नाख़ूनों की वजह से एक फलती-फूलती इंडस्ट्री बनी है नेल केयर यानी नाख़ूनों का ख़याल रखने वाली चीज़ों और सेवाओं की इंडस्ट्री।

2020 में, आंकलन के मुताबिक़ वैशिक रूप से नेल केयर का बाज़ार 2.7 अरब डॉलर का था। पर नेल केयर वो वजह नहीं है जिसकी वजह से हमारे पास नाख़ून हैं। 

पुरातत्वविदों का मानना है कि लगभग 25 लाख साल पहले हमारे पूर्वजों की उंगलियों के नाख़ून चौड़े होने लगे थे। ये वही वक़्त था जब उन्होंने पत्थर को औजार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया था।

पर ये साफ़ नहीं है कि ये दोनों अहम विकास आपस में जुड़े हैं या नहीं। पंजे खरोचने, चढ़ने और गड्ढा खोदने के लिए कारगर होते हैं। लेकिन उंगलियों के नाख़ून नाजुक काम करने के लिए बेहद ज़रूरी होते हैं।

 केराटिन सेल

• क्या आपने कभी सोचा है कि आप क़िताब के पन्नों को एक दूसरे से अलग कैसे कर पाते हैं या सिक्के जैसी छोटी चीज़ों को कैसे उठा पाते हैं?

ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे पास नाख़ून हैं। शायद ऐसा लगता है कि नाख़ूनों में ज़्यादा एहसास नहीं होता पर इसके कठोर कवच के नीचे नसों का एक पेचीदा नेटवर्क होता है।

आप अपने हाथ से बड़ी चीज़ों को पकड़ सकते हैं और छोटी और पतली चीज़ों को भी उठा सकते हैं। ये एक सटीक संतुलन है। 

पंजों को साफ़ रखने का विकास इस विचार के साथ आया है कि जैसे-जैसे हमारे नाख़ून छोटे होते गए हम ख़ुद की और दूसरों की सफ़ाई और बेहतर तरीक़े से कर पाने लगे। और इससे सामाजिक मेल-जोल की शुरुआत हुई। 

ये सोच कर दिलचस्प लगता है कि अपने नाख़ूनों पर काम करवाने से भी सामाजिक मिलना-जुलना बढ़ता है जो कि अरबों सालों में हुए विकास में भी देखने को मिलता रहा है। 

•पर अगर आपके पास नाख़ून ना होते तो आपके स्वास्थ्य पर इसका क्या असर होता? 

इसके अच्छे और बुरे दोनों तरह के असर हैं। आपके पास नाख़ून होने की एक वजह ये है कि इससे वायरस और बैक्टीरिया आपके शरीर में जाने से रुक जाते हैं। 

पर अगर आपके पास नाख़ून ना होते तो आप और ज़्यादा बीमार पड़ते। लेकिन इसका मतलब ये भी होता है कि आपके नाख़ूनों के नीचे उस तरह की गंदगी और बैक्टीरिया का सवाल ही नहीं उठता जिससे हर तरह के संक्रमण होते हैं। 

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि उंगलियों के नाख़ूनों की स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ और भी ज़रूरतें हैं। ये स्वास्थ्य से जुड़ी कई चीज़ों के बारे में सूचना देने का काम करते हैं। 

इनके बिना, आपके लिए किसी बीमारी को तुरंत समझ पाना मुश्किल होगा। जैसे कि, नाख़ूनों का कटना या छिलना, आयरन की कमी का इशारा हो सकता है। 

या नाख़ूनों पर दिखने वाले सीधे-सीधे उभार गुर्दे की बीमारी की ओर इशारा कर सकते हैं। मैंने कहा ऐसा हो सकता है। इंटरनेट पर कौन क्या कहता है उस पर ध्यान ना दें। 

अपने डॉक्टर के पास जाकर सही सलाह लें। अगर हमारे पास नाख़ून ना होते तो हमारी रोज़ाना की ज़िंदगी बहुत अलग होती। सोचिए छोटी चीज़ों को इतनी आसानी से ना उठा पाना कैसा होता। 

या संक्रमण के ख़तरे से बचने के लिए ज़्यादा सावधानी रखना। और इन सब से बुरा आपको नाख़ूनों पर कारीगरी करवाने का सुख भी तो ना मिलता। 

और जब आप नज़दीकी ब्यूटी पार्लर गए हों तो ये भी सोचिएगा कि क्या हो अगर आप के पास बाल ना हों और हर कोई गंजा हो। ये सुनने में बाल खड़े कर देने वाली बात लगती है।

तो इस पर चर्चा के लिए पढ़ते  रहें ‘‘क्या हो अगर’’ .

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