क्या हो अगर आप अपने दिमाग की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करें? Using Full Capacity Of Our Brain?

आप कुछ भी कर सकते हैं! एक मास्टर पीस को एक मिनट में पेंट कर सकते हैं, हर भाषा को एक घंटे में सीख सकते हैं, रात भर में एक कई बिलियन डॉलर की कंपनी खड़ी कर सकते हैं, और कल से विश्व पर राज कर सकते हैं।

तो आपको क्या रोक रहा है ? आप जो करना चाहते है वो क्यों नहीं कर पाते हैं ? क्या आपने बचपन में मोजार्ट का संगीत ज्यादा नहीं सुना? बड़े होते हुए आपने सब्जियां नहीं खायीं ? 

या फिर ऐसा इसलिए है क्यूँकि आप अपने दिमाग का इस्तेमाल उसकी पूरी क्षमता के साथ नहीं कर रहे। क्या आप जानना चाहेंगे आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? 

आप पढ़ रहे हैं ‘‘क्या हो अगर’’ और ये है क्या हो अगर आप अपने दिमाग की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करें? 

Image credit :- whatifshow.com

दिमाग के बारे में सबसे कम ये कहा जा सकता है कि ये बहुत ही पेचीदा है। हम सदियों से इसे पढ़ रहे हैं, और हम अभी तक भी इसके कई रहस्यों को सीख रहे है। 

पर सावधान रहें! तथ्यों की खोज कभी-कभी कल्पनाओं पर पहुँच जाती है। अथिक होशियार होने के लिए दिमाग़ बड़ा होना चाहिए। पर ये ग़लत है!

दिमाग के आकार का संबंध बुद्धिमानी से ज़्यादा अनुपात से है। उदहारण के लिए,नीचे दिए गए फोटो में आपका दिमाग एक व्हेल के दिमाग के बगल में है। अंदाजा लगाए की कोन ज्यादा होशियार हैं?

अंदाज़ा लगाए कि किसके शरीर को ज्यादा प्रसंस्करण शक्ति की जरूरत है? 

आपका दिमाग व्हेल के दिमाग से छोटा है क्यूँकि आपका शरीर छोटा है। हालाँकि, आपके दिमाग की संरचना इस तरह से है कि ये आपको जीवित रखने और कामयाब होने में समर्थ बनाता है। 

आपका दिमाग और व्हेल का दिमाग़

पर इन सबके बाद क्या आप इन बात का विश्वास करेंगे कि इंसान दिमाग़ का सिर्फ 10 % इस्तमाल करते हैं? चलिए इसे 100% बनते हैं।

Read :- क्या हो अगर आप अपने दिमाग़ को अपलोड़ कर सकें?

हमने देखा है कि वाकई होशियार लोग क्या कर सकते हैं। वे हमें कला, संगीत, और साहित्य के द्वारा प्रेरित करते हैं, वे खेलों में कठिनाइयों को अवसरों में बदल देते हैं, चीजों की खोज करते हैं जिससे हमारी ज़िन्दगी आसान बन सके, और वे पूरे समाज को संगठित करने में मदद करते हैं जिससे हम सभी अच्छे या बुरे के लिए और शक्तिशाली बन सकें। 

दिमाग की पूरी क्षमता की पहुँच मिलने पर आप असीमित बन सकते हैं। तो आप क्या करेंगे? सबसे पहले, आप रूबिक्स क्यूब के घन को आखिरकार हल करेंगे जो अब तक आपकी मेज़ पर पड़े-पड़े अपने ऊपर धुल इकट्ठी कर रहा था। 

अपने सबसे बुद्धिमान दोस्त को फोन करके बुलाएँगे और उन्हें चैस की एक बाज़ी खेलने के लिए चुनौती देंगे। दो ही चालों में चेक मेट। 

जब आप सबसे होशियार बन चुके होंगे, तो अब आप असली चुनौती को ढूँढ रहे होंगे क्योंकि होशियार होने का मतलब है कि आप उन चीजों से आकर्षित नहीं होंगे जो कम होशियार लोगों को खुश कर देती हैं। 

• तो आपके शौक क्या होंगे? कला , विज्ञान, प्रौद्योगिकी.

जब आप असीमित बन जाते हैं, तो आपको किसी एक चीज़ को चुनने की ज़रूरत नहीं है। पिकासो को ऐसे ही अच्छा समझा जाता है! माफ करना मैं लेट हूँ, मैं सारी रात भर कैंसर का इलाज कर रहा था! तो मैंने सोचा क्यों नहीं? और इसी तरह टाइम ट्रैवेलिंग टॉयलेट का अविष्कार हुआ। अच्छा वापस चलते हैं। 

आपके शरीर पर क्या असर पड़ता है जब आप अपने दिमाग की सारी शक्ति एक रचना, इलाज, या एक पेटेंट पर लगा देते हैं? :- 

आपके फेफड़े सांस ले रहे हैं, आपका दिल धड़क रहा है, आपका खाना पच रहा है, और आपका खून संचारित हो रहा है, आपका दिमाग बस यही है। 

अगर अपने दिमाग की क्षमता के 100 प्रतिशत पर भी आपकी पहुँच हो आप इसे इस्तेमाल नहीं कर सकते। आप अपने शरीर के जीवित रहने की ज़रूरतों के द्वारा सीमित होंगे। 

आपको याद है जब हमने पूछा था  क्या आप इस बात का विश्वास करेंगे कि इंसान दिमाग़ का सिर्फ 10 % इस्तमाल करते हैं? क्या आपको इस पर विश्वास हुआ था? ये 10 प्रतिशत वाली बात गलत है और शायद ये एक आसान सी उलझन से आती है। 

आपका दिमाग 10 प्रतिशत न्यूरॉन्स और 90 प्रतिशत ग्लियल कोशिकाओं से मिल कर बना है। न्यूरॉन्स कई तरह के होते हैं जो कई तरह के कार्यों का ध्यान रखते हैं। 

आपके न्यूरॉन्स आपको जानकारी को संसाधित करने में मदद करते हैं जबकि आपकी ग्लियल कोशिकाएँ आपके न्यूरॉन्स को घेर के रखती हैं जिससे उन्हें मदद मिलती है और वे सुरक्षित रहते हैं। और क्या आपको पता है सारे इंसानी दिमागों की बनावट एक तरह की होती हैं।

आपके दिमाग में उतने ही न्यूरॉन्स हैं जितने अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग में थे। तो आप अधिक होशियार कैसे बनेगे?

अपने दिमाग़ को एक मांसपेशि की तरह समझें नए चीजें करें, चुनौतियां लें और पर्याप्त आराम करें ,अच्छी आदतें बनाये रखें, ये करना एक होशियारी वाली चीज है और इसमें दिमाग भी नहीं लगता।

तो चलिए मिलते है एक और नए “क्या हो अगर” के लेख के साथ. 

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