क्या हो अगर आप अतीत में एक अरब साल पीछे चले जाएं। What If You Traveled 1 Billions Years Into The Past?

सोचिए कि आप पलक झपकने जितने वक़्त में इंसान के इतिहास तक पहुंच जाएं। पानी से बाहर निकले पहले क़दमों से लेकर चांद पर रखे गए पहले क़दमों तक हम कॉस्मिक नज़रिए से देखे जाने पर कुछ ऐसे ही हैं। 

लेकिन इस छोटे-से वक़्त में हमने काफ़ी कुछ कर लिया है। अगर आप अतीत में एक अरब साल पीछे जाते हैं तो आपको क्या दिखेगा? 

क्या पृथ्वी कभी दिखने में बर्फ़ के गोले जैसी दिखती थी? पहले के इंसान को देखने के लिए हमें कितना पीछे जाना होगा? और क्या हमारी विलुप्ति सुरु हो चुकी है? 

आप पढ़ रहे हैं ‘‘क्या हो अगर’’ और ये है क्या हो अगर आप अतीत में एक अरब साल पीछे चले जाएं?


एक तरह से, हममें से हर कोई समय यात्री है। हम एक सेकेंड प्रति सेकेंड की दर से भविष्य में आगे बढ़ते हैं। पर अगर आप पीछे जाना चाहते हैं तो आपको प्रकाश की रफ्तार से भी तेज़ चलना होगा। 

ये आइंसटाइन का कहना है। या शायद आपकी टाइम मशीन वर्म होल्स(White Hole) से गुज़र सके यानी एक काल्पनिक टनल जो स्पेस-टाइम के अलग अलग बिंदुओं को जोड़ती है। 

आपने समय के उल्झे हुए रास्ते पर चलने का फैसला किया है तो आपको दुनिया बनाने वाली सबसे मज़बूत ताक़तों का असर और उनके पीछे की वजह दोनों देखने को मिलेंगी। एक के बाद एक तबाही आने पर आप सायद सोच में पड़ जाएंगे कि पृथ्वी आखिर कितनी बार जमी होगी?

जैसे-जैसे आप अपने सामने इतिहास बनते देखेंगे या उसे ख़ुद को दोहराते देखेंगे आपको ये देख कर हैरानी हो सकती है कि इंसानी प्रजाति ने इतने कम वक़्त में इस ग्रह पर कितना क़हर बरपाया है। 

आप 2021 से शुरुआत करें और पीछे मुड़ कर देखें तो आपको छठी सामूहिक विलुप्ति की घटना यानी मास एक्स्टिंक्शन इवेंट नज़र आएगा जो कि ठीक इस वक़्त हो रहा है। 

होलोसीन विलुप्ति (Holocene Extinction) के नाम से जाना जाने वाला ये दौर हमारे वक़्त के सबसे भयानक मौकों में से एक है और इसके पीछे इंसानी गतिविधियों का हाथ है। जैसे-जैसे इंसान मूंगे की चट्टानों और वर्षावनों को बर्बाद कर रहे हैं इन ईकोसिस्टम्स यानी पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर कई वन्यजीव और पेड़ ख़त्म होते जा रहे हैं। 

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर(IUCN) के मुताबिक 67% विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी प्रजातियां अगले 100 सालो में विलुप्त हो सकती है। और क्योंकि इनमें से ज़्यादातर विलुप्तियों के बारे में कहीं लिखा नहीं जाता हमें इनके ग़ायब होने तक पता भी नहीं चलेगा कि हमने क्या खोया है। या शायद तब भी पता ना चले।

18वीं और 19वीं सदी में जाकर आप औद्योगिक क्रांति की वजह से आए प्रदूषण को चिमनियों में वापस जाते देख सकते हैं।

(हम अभी भूतकाल में है इस लिए हम लेख में सभी वर्तमान की ही बात करेंगे इस लिए हमने सभी जगह ‘है’का इस्तमाल किया)

शहरों को सिकुड़ते हुए और गांवों की अपनी जड़ों में वापस जाते देख सकते हैं। हालांकि इससे आपको इंसानी प्रजाति की आबादी और इनकी वजह से प्रदूषण बढ़ना साफ़ दिखेगा पर अगर आप अपने शुरुआती क़दमों को वापस जीना चाहते हैं तो आपको और पीछे जाना होगा।

200,000 साल पहले के ग्रह तक का सफ़र करना होगा और आप हमारी प्रजाति यानी होमो सेपिअन्स की शुरुआत होते देखेंगे। 70 लाख साल पहले उत्तरी चैड में चलकर देखिए और इंसानों की सबसे पुरानी प्रजाति आपके आस-पास कहीं मौजूद होगी। 

इन्हें साहेलेन्थ्रोपस चैडेन्सिस (Sahelenthropus chadensis) के नाम से जाना जाता है। हमारी कड़ी का ये रहस्यमयी हिस्सा देखने में बंदर जैसा था पर ये ऐसे पहले थे जो कि सीधे होकर चल सकते थे। ये काफ़ी अच्छे स्वभाव का लगता है। 

6 करोड़ साल पीछे जाकर आप एशिया के नम वर्षावनों में पहले प्राइमेट्स को देख सकेंगे। तो अब 6 करोड़ 50 लाख साल पीछे चलिए और आप ख़ुद को उस विशाल एस्टेरॉयड के नीचे पाएंगे जिसके असर से सुनामी आई थी और हवा धूल और मल्बे से भर गई थी।

इस टकराव से दुनिया भर में भयानक ज्वालामुखी विस्फोट हुए। सूरज की रोशनी पर रोक लगने के बाद और ज़मीन पर बाढ़ आने के बाद आख़री डायनासोर भी ख़त्म हो गए। लेकिन ये घटना ना होने पर हमारे जैसे स्तनधारी जीव कभी इस ग्रह पर राज नहीं कर पाते। 

13 करोड़ साल पीछे जाइए और आप दुनिया के पहले फूलों को खिलते हुए देखेंगे। 20 करोड़ साल पीछे जाकर आप पैंजिया यानी उस ज़मीन को अलग होते देखेंगे जिससे सारे महाद्वीप बने हैं। जैसे-जैसे पृथ्वी के टुकड़े हो रहे होंगे लावा विस्फोट इतना भयानक होगा कि पृथ्वी की 80% प्रजातियां लुप्त होने लगेंगी।

थोड़ा और पीछे चलिए 2 करोड़ साल और शायद आपको पहले छोटे और रात्रीचर स्तनधारी जीवों की झलक मिल जाए जो कि अंधेरे में रेंग रहे होंगे। और अगर आप 23 करोड़ साल पीछे जाएंगे तो आपको दो पैरों पर चलते शुरुआती डायनासोर्स दिख सकते हैं। 

लेकिन इससे पहले कि ये हो पाए पृथ्वी को ग्रेट डाइंग से होकर गुज़रना होगा इसे पर्मियन विलुप्ति भी कहा जाता है। पृथ्वी पर मौजूद प्रजातियों में से 95% इस विनाश में ख़त्म हो गईं थीं। लेकिन आप पृथ्वी के टुकड़ों को साथ आकर पैंजिया में बदलते हुए भी देख सकते हैं। अब आप अर्जेंटिना से चीन तक पैदल जा सकते हैं। 

लेकिन 37 करोड़ 50 लाख साल पहले चीज़ें दिलचस्प होने लगीं थीं। आप पहली बार समुद्री जीवों को ज़मीन पर चलते देखेंगे। आपको शायद टिक्टालिक भी नज़र आए जो कि एक सैलामेंडर और मछली का मिला जुला रूप लगता है। ये अजीब-सा जीव आगे जाकर स्तनधारियों और जलथलचरों यानी एम्फीबिअन्स में विकसित होगा। 

पर आपने जिन्हें पहले देखा हर उस प्रजाति की तरह ये विकास भी बिना कोई क़ीमत चुकाए नहीं हुआ है। और अब हम पहली सामूहिक विलुप्ति के वक़्त पर आ चुके हैं। 

ओर्डाविशन विलुप्ति तब होता है जब ध्रुवी चादरों से लेकर सागरों तक बर्फ़ की चादरें फैलने लगती हैं। 46 करोड़ साल पहले पूरे ग्रह पर आई इस तबाही के चलते समुद्र में मौजूद लगभग 70  % जीवन ख़त्म हो गया था। 

तो पीछे जाना जारी रखिए और आपको शायद ये दिख जाए कि ज़मीन के नीचे जीवन की शुरुआत कैसे हुई थी। इसे केम्ब्रियन एक्प्लोज़न कहा जाता है पर वैज्ञानिक अब भी इस बात को लेकर परेशान हैं कि ये अनोखा मौक़ा आया कैसे। 

63 करोड़ 50 लाख साल से 85 करोड़ साल तक पृथ्वी दो बार जमी। एक बार लगभग 6 करोड़ सालों के लिए और दूसरी बार 1 करोड़ 50 लाख सालों के लिए। 

एक थ्योरी के मुताबिक़ पृथ्वी बर्फ़ की केवल एक पत्ली चादर से ढ़की थी जिससे सूरज की किरणें अंदर पहुंचती रहीं और जीवन का बीज नीचे पनपता रहा। लेकिन इतिहास में 1 अरब साल पीछे जाइए और आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि वहां ज़्यादा कुछ भी नहीं है। 

इस वक़्त पर लाल वर्णक यानी रेड एल्गे अपनी आबादी को बढ़ाने के लिए स्पोर्स बना रहे होंगे। सेल्स साथ आकर थोड़े बड़े जीव बना रहे होंगे। पृथ्वी पर मौजूद जीवन बेहद छोटा होगा और ज़रा-सा भी ख़तरनाक नहीं। 

लेकिन हमारे ग्रह में इतने कम वक़्त में इतना ख़तरनाक कुछ कभी नहीं हुआ जितना अब इंसानों की वजह से हो रहा है। लेकिन शायद इंसान कभी ना कभी चीज़ों को ठीक कर देंगे। 

पर हमारे ग्रह में कोई बदलाव आ सकता है या हमारे दिलों में जिससे शायद भविष्य को बदला जा सके। या शायद डायनासोर्स और निएंडरथल्स की तरह हमारी जगह भी कोई और प्रजाति ले ले। 

तो चलिए अपनी टाइम मशीन निकालते हैं और पता लगाते हैं। क्या हो अगर आप भविष्य में एक अरब साल आगे चले जाएं? जानने के लिए पढ़ते रहें ‘‘क्या हो अगर’’ .

                   #Future #Past #Earthpast

                     #Whatif # Kyakoagr

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