क्या हो अगर हम सारे महासागरों को खाली कर दें? Draining Earth's Oceans?

क्या हो अगर हमें महासागरों को खाली करने के लिए मारियाना ट्रेंच के नीचे एक गुप्त दरवाज़ा मिल जाए? 

इस में  हमें कितना समय लगेगा? एक साल?, सदियां?, या कई हजार साल? क्या इसके बाद पृथ्वी पर जीवन बचे गा? क्या हो अगर ऐसा रातो - रात को जाएं?

आप देख रहे हैं ‘‘क्या हो अगर’’ और ये है क्या हो अगर हम सारे महासागरों को खाली कर दें? 


महासागरों का पानी पृथ्वी की सतह का 70 प्रतिशत हिस्सा है ये असल में कितना पानी होगा? अगर आप उस सारे पानी को ओलंपिक खेलों के आकार के स्विमिंग पूल्स में डालें, तो आपको 535,200,000,000,000 पूल्स की ज़रूरत पड़ेगी जोकि आप गिन भी नहीं सकते। अगर हम एक बास्केटबॉल कोर्ट के आकार का भी रास्ता खोलें, तो भी हमें महासागरों को खाली करने में कई लाख साल लगेंगे।

इनमें करीब एक बिलियन क्यूबिक किलोमीटर पानी होता है। पर क्या हो अगर हमारे पास एक इतना शक्तिशाली पंप हो जो सारे महासागरों को एक मिनट में खाली कर दे? इसके बाद क्या होगा? निश्चित रूप से, तैरार्क, सेलर्स, क्रूज के यात्री महासागरों पर सभी इसके असर को तुरंत महसूस करने लगेंगे।

एक सेकंड में, कम गहरे पानी में सेलर्स और तैराक नीचे तल से टकरा जायेंगे। कुछ टूटी हुई हड्डियों के अलावा वो बच जायेंगे। गहरे महासागरीय जहाज़ इतने भाग्यशाली नहीं रहेंगे। टाइटैनिक के आकार का एक जहाज़ तल से 30 सेकंड्स में टकराएगा और छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जायेगा। पहले मिनट में यही चीज महासागर के लगभग हर बड़े जहाज़ के साथ होगी। 

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समुद्री जीव-जंतुओं का क्या होगा? :- 

आपको पहले से ही इसका जवाब पता है। सच में मछलियों की बारिश होने लगेगी क्यूँकि सारी व्हेल मछलियाँ, डॉलफिनस और पानी के दूसरे बड़े जानवर जो उत्सुकता में सतह पर होंगे, वो सब महासागर के तल पर गिरने लगेंगे। और जो पहले ही तल के पास होंगे वो भाग्यशाली रहेंगे कि महासागर खाली होने पर वो पानी के साथ बाहर नहीं आयेंगे।

पर आगे जो होगा उससे असली दिक्कत शुरू होगी। महासागर दो भूमिकायें निभाते हैं जो हमारे जीवन के लिए सहायक होती हैं। पहली वे सूरज से गर्मी सोख कर पृथ्वी के तापमान को कंट्रोल करते हैं। वे गर्म ट्रॉपिकल वाटर्स को उत्तर से दक्षिण की तरफ भेजते हैं और ठंडे पानी को वापस इक्वेटर यानि भूमध्य रेखा पर भेजते हैं। 

इस तरह पृथ्वी पर कोई भी जगह ना बहुत ज़्यादा गर्म रहती है ना बहुत ज़्यादा ठंडी। पृथ्वी के जलवायु का कंट्रोल। दूसरा महासागर वाटर साइकिल को बनाये रखने में भी मददगार होते हैं भाप को बादल में बदलना और फिर पृथ्वी पर वापस बरसाना। 

जैसे ही महासागर गायब हो जायेंगे पृथ्वी एक बहुत बड़े रेगिस्तान में बदल जाएगी। आप अपने छातों को फेंक सकते हैं क्यूँकि अब कभी बारिश नहीं होगी। 

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सारे तालाबों और नदियों का क्या? क्या उनके पानी से हमारा काम नहीं चलेगा? :- 

महासागरों के बिना विश्व का 97 प्रतिशत पानी ख़त्म हो जायेगा। जो थोड़ा पानी बचेगा वो वाटर साइकिल को बनाये रखने के लिए काफी नहीं होगा। पीने लायक पानी के पूल बहुत जल्दी भाप बन जायेंगे। 

कुछ ही दिनों में लोग और ज़्यादातर जानवर पानी की कमी से मरने लगेंगे। पेड़-पौधों कुछ ही हफ्तों में सूखी हवा से नष्ट होने लगेंगे। कुछ ही महीनों में जंगल एक बड़े पैमाने पर ख़त्म होने लगेंगे। 


इन सारी मरी हुई और सूखी वनस्पतियों में आखिरकार आग लग जाएगी। कुछ सालों के अंदर ही विश्व के लगभग सारे जंगल जल जायेंगे। जैसे ही ये आग ग्रह के आर-पार फैलेगी हमारे वायुमंडल पर बहुत कम ऑक्सीजन बचेगा। 

अगर इस समय तक इंसान बचे रहें तो ख़राब हवा और झुलसा देने वाला तापमान हम सबको ख़त्म कर देगा। कुल मिलाकर पृथ्वी बिलकुल शुक्र ग्रह यानी वीनस की तरह ख़त्म हो जाएगी। पूरी तरह जली हुई।

तो जब तक ऐसा नहीं होता तो क्यों ना आप समुद्र के किनारे कुछ छुट्टियां मना कर आयें? ज्यादा जानकारी के लिए जुड़े रहे हमसे और पढ़ते रहे “क्या हो अगर”.

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