क्या हो अगर हम अपना सारा कचरा बरमूडा ट्रायएंगल में फेंक दें? Dumping our trash in Bermuda Triangle?

बरमूडा ट्रायएंगल... ये धरती की सबसे खतरनाक और रहस्यमयी जगहों में से एक है। यहां दर्जनों जहाज़ डूबे हैं, कई विमान दुर्घटना का शिकार हुए हैं, और कई लोग मारे गए हैं। यहां कई राज़ दफ्न हैं। 

तो क्या हो अगर हम हमारा कचरा बरमूडा ट्रायएंगल में फेंक दे? ये कचरा कहां जाएगा? और ऐसा करने से हम किन रहस्यों की तह तक पहुंच पाएंगे

आप पढ़ रहे हैं ‘‘क्या हो अगर’’ और ये है क्या हो अगर हम अपना सारा कचरा बरमूडा ट्रायएंगल में फेंक दें? 

Image credit :- bibalex.org

समुद्र का 13 लाख वर्ग किलोमीटर का ये हिस्सा फ्लोरिडा से पूर्तो रीको और वहां से लेकर बरमूडा तक फैला हुआ है। 1800 के दशक से अब तक, करीब 1,000 ऐसी ख़बरें सामने आई हैं कि लोग यहां आकर रहस्यमयी रूप से गायब हो जाते हैं। 

इन गायब होने वालों में 2 यात्रियों वाले विमानों से लेकर 300 यात्रियों तक को ले जा रहे 150 मीटर लंबे जहाज़ शामिल हैं। तो, अगर इस जगह हम अपना कचरा फेंक दें, तो क्या वो भी गायब हो जाएगा? 

इससे पहले कि हम बरमूडा ट्रायएंगल में अपना कचरा फेंकने की सोचें भी, हमें ये तय करना होगा कि हम आखिर यहां जाएंगे कैसे? 

ज़ाहिर है, हम एक जहाज़ का इस्तेमाल करेंगे क्योंकि हमें कचरे को समुद्र में फेंकना है, और एक जहाज़ के जरिए हम ज़्यादा कचरे के साथ, फेंकने वाली जगह के ज़्यादा करीब तक जा सकते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ये तो एक बेहद खतरनाक कदम साबित होगा। 

सीधे बरमूडा ट्रायएंगल के बीचों-बीच जाना कैसा रहेगा? आप कहोगे की भाई दिमाग़ तो ठीक है ना? 

लेकिन इसकी काफी संभावना है कि हम वहां पहुंच कर भी सुरक्षित रहें। बरमूडा ट्रायएंगल के पास जाने को लेकर कई तरह के अनुमान लगाए गए हैं, कुछ अच्छे और कुछ बुरे। 

क्या ये कोई ऐसा दरवाज़ा है जहां से कोई एलियन सभ्यता इंसानों को अगवाह कर रही है? क्या यहां पानी के नीचे बसा कोई बड़ा सा शहर है? या कोई भयानक समुद्री राक्षस यहां रहता है?


ये बातें सुनने में जितनी मज़ेदार हैं, सच से उतनी ही दूर भी हैं। अफसोस, आपको निराश किया। एक बात जो बाकियों के मुकाबले बेहतर लगती है, वो है बरमूडा ट्रायएंगल में मीथेन विस्फोट होना। 

इस अनुमान के मुताबिक, ये मीथेन विस्फोट समुद्र की निचली सतह से उठते हैं, और इतनी तेज़ी से ऊपर आते हैं, कि बड़े जहाज़ों को भी पलट कर रख देते हैं। लेकिन जब से ये बातें कही जा रही हैं, वैज्ञानिक और समुद्र के जानकार इन्हें खारिज करते आ रहे हैं। 

उनका कहना है कि इतना बड़ा मीथेन विस्फोट होना संभव नहीं है कि वो किसी जहाज़ को पलट सके। और अगर कोई बड़ा विस्फोट होता भी है, तो ये काफी हद तक संभव है कि जहाज़ उससे बच निकले। 

ये इसलिए कि ये जहाज़ पानी के बदलते मिजाज़ को सहने के लिए तैयार किए जाते हैं। फिर चाहे वो बड़ी लहरें हो या मीथेन के गुबार। 

तो अब जब हम अपने कचरे के साथ यहां आ चुके हैं, तो हम इसे आखिरकार फेंक सकते हैं।लेकिन अब ये समुद्र में तैरता दिखाई देगा। 

पर वो बड़ी खाई कहां गई, जिसमें हमारा कचरा जादूई रूप से गायब होने वाला था?वही जगह, जहां सारे विमान और जहाज़ इतने सालों से गायब हो रहे हैं?


लगता है बरमूडा ट्रायएंगल इतना खतरनाक भी नहीं है! बिल्कुल, यहां कई राज़ छुपे हैं, लेकिन यहां चीज़ों और लोगों के गायब होने के पीछे की वजह खराब मौसम, बड़ी लहरें या इंसानी गलती हो सकती है। बरमूडा ट्रायएंगल तो दुनिया की सबसे खतरनाक समुद्री जगह भी नहीं है। 

ये ख़िताब तो पूर्वी एशिया और ऑस्ट्रेलिया के समुद्रों को दिया जा चुका है। और हालांकि पिछले 200 सालों में 1,000 मौतों का आंकड़ा सुनने में बड़ा लगता है, पर क्योंकि बरमूडा ट्रायएंगल के ऊपर से होकर दुनिया के सबसे ज़्यादा विमानों का रास्ता जाता है, ये संख्या इतनी भी बड़ी नहीं लगती। 

तो हमें हरिकेन या बड़ी लहरों से सावधान ज़रूर रहना होगा, पर फिल्हाल हमारे पास चिंता करने के लिए इससे बड़े कई मुद्दे हैं। हमे समुद्ररो में टनों कचरा डालना है। 

हमने सोचा था कि बरमूडा ट्रायएंगल में डालकर इस कचरे से किसी तरह छुटकारा पा लेंगे। लेकिन ये एक समझदार ख्याल साबित नहीं हुआ। अफसोस, हमारा डाला ये कचरा शायद समुद्र में जाकर पता भी ना चले। 

आंकलन के मुताबिक, हर साल सागरों में 14 अरब टन कचरा फेंका जाता है। मान लेते हैं हमने न्यू यॉर्क का एक साल का सारा कचरा बरमूडा ट्रायएंगल में फेंक दिया। यानी 14 लाख टन कचरा। 


ये सुनने में बहुत ज़्यादा लगता है, पर ये हर साल सागरों में जाने वाले कचरे का एक छोटा हिस्सा भी नहीं है। ये बहुत बुरा ख्याल था, और इसे बिल्कुल भी आज़माया नहीं जाना चाहिए। और ये हमारी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि हमारे सागरों की सुरक्षा के लिए है। 

समस्या बढ़ाने की जगह, हमें सागरों को साफ रखकर इस समस्या को खत्म करने में मदद करनी चाहिए। और शायद, बेहतर ये होगा कि हम अपना कचरा ज्वालामुखी में फेंक दें। 

ये तो कारगर होगा ही, है ना? लेकिन इस पर बात करेंगे ‘‘क्या हो अगर’’ के किसी और लेख में। 

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