क्या हो अगर एक साल तक हर रोज बारिश होती रहे। What if it rained everyday for a year?

बाढ़ बर्बादी और बीमारियां। इन सारी भयानक चीज़ों में क्या समानता है? बारिश... ढ़ेर सारी बारिश। और हम यहां अप्रैल में होने वाली हल्की बौछार की बात नहीं कर रहे। 

तो, सोचिए ये बारिश लगातार होती रहे कुछ घंटों के लिए नहीं बल्कि कुछ दिनों के लिए। बल्कि, सोचिए कि 365 दिनों तक बिना रुके बारिश होती रहे। 

इस तरह कि बारिश का पृथ्वी पर क्या असर होगा? आपके स्वास्थ्य पर क्या असर होगा? और क्या इससे हमारे सांस लेने का तरीका भी बदल जाए गा? 

आप पढ़ रहे हैं ‘‘क्या हो अगर’’ और ये है क्या हो अगर एक साल तक हर रोज बारिश होती रहे।

Image credit:- Earth.com


बारिश पृथ्वी के लिए बहुत ज़रूरी है। पेड़ों और जानवरों को इसकी ज़रूरत होती है। हमें भी इसकी ज़रूरत है पीने के लिए और फ़सल उगाने के लिए भी। 

लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा में अच्छी चीज़ भी संतुलन को बिगाड़ सकती है। और जलवायु के आंकड़ों के मुताबिक़ मूसलाधार बारिश में बढ़त हो रही है। 

यूनिवर्सिटी ऑफ़ सस्कैच्वान की एक शोध में पाया गया कि 2004  और 2013 की बीच दुनिया फर में भारी बोछारो में 7% की बढ़त देखी गई थी, और यूरोप और एशिया में बेहद तेज़ बारिश 8.6 फ़ीसदी से बढ़ गई थी।

और 1980 से 2009 के बीच में बारिश से आए बाढ़ में 500,000 जानें गई थी। तो, अगर एक साल तक बिना रुके बारिश होती रहती है तो पृथ्वी पर इसका गंभीर असर हो सकता है।

 

पर, मूसलाधार बारिश में इस बढ़त के पीछे की वजह क्या है? क्या आपने कभी सोचा है कि ऊपर आसमान में कितना पानी है? 


अगर वातावरण में मौजूद सारा पानी अचानक पृथ्वी पर बरस जाए तो ये पृथ्वी की पूरी सतह को ढ़क देगा और पूरी सतह 2.5 सेंटीमीटर (1 इंच) गहरे पानी के नीचे होगी।

अब, सोचिए कि ये बारिश भयानक मात्रा में होती, कभी ना रुकने वाली बौछार में बदल जाए तो। हम जानते हैं कि इससे बाढ़ आएगी पर ये कितना बुरा रूप ले सकती है?


ख़ैर! अगर आपको बीच पर या आइलैंड पर जाने का शौक है तो रोज़ की बारिश से आपकी छुट्टियां बर्बाद हो सकती हैं। आइलैंड्स यानी द्वीपों पर सबसे पहले असर पड़ेगा। 

ये बहुत तेज़ी से समुद्र में समा जाएंगे। और यूरोप की नीदरलैंड्स जैसी जगहों को पानी का स्तर बढ़ने के ख़तरनाक नतीजों का सामना करना होगा। 

इस बात की काफ़ी संभावना है कि ये पूरी तरह से पानी में डूब जाएं। आम तौर पर बाढ़ के वक़्त पर बचाव के लिए ऊंची जगहों पर जाया जाता है। 

ये निचले स्तर के इलाक़ों से ज़्यादा सुरक्षित होते हैं। लेकिन अगर आप ऊंची जगह पर जाते हैं तो भी एक बड़ी समस्या सामने आ सकती है। 

पानी का नीचे की ओर सरकते हुए आना। इस बारिश से भूस्खलन, मिट्टी का खिसकना और झरनों जैसा बहाव हो सकता है। 

तो, ये इलाक़े भी सुरक्षित नहीं कहे जा सकते। बात ये है कि शुरुआती बाढ़ और पहाड़ों का ख़तरा हमारी दिक्कतों का केवल पहला हिस्सा होंगे। 

क्या आपने सोचा है कि इतनी बारिश का आपके स्वास्थ्य पर क्या असर हो सकता है? :-

अगर बाहर लगातार बारिश होती रही तो अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान ना देना आसानी से मुमक़िन है। लेकिन स्वास्थ्य के नज़रिए से ये एक बड़ी समस्या है। आपको लगेगा कि पीने के लिए ढ़ेर सारा पानी होगा पर हमें इस पानी को ध्यान से इकट्ठा करना होगा।

हमारे जलाशय और पानी इकट्ठा करने के सिस्टम्स में बहकर आने वाले कचरे और मल्बे से आसानी से प्रदूषण हो सकता है। और इससे तेज़ी से बीमारियां फैलने लगेंगी। और याद रहे, जहां लगातार बारिश हो वहां धूप नहीं होती। 

हम सभी को विटामिन डी की ज़रूरत होती है और इसे लेने का सबसे आसान तरीक़ा है धूप यानी सूरज की रोशनी। 

लेकिन अगर हर वक़्त हर रोज़ बारिश होती रही तो शायद हमें ख़रीद कर विटामिन्स की गोलियां खानी होंगी। और सूरज की रोशनी ना होने पर लोग डिप्रेशन यानी अवसाद का शिकार हो सकते हैं। 

ये वाकई उदासी की वजह बन सकती है। यानी बाढ़ होगी और बीमारियां भी। पर मैं यक़ीन के साथ कह सकता हूं कि आपने हवा पर इसके असर के बारे में नहीं सोचा होगा, है ना

लगातार होने वाली बारिश का एक नतीजा होगा हमारी सांस लेने वाली ऑक्सीजन में कमी आना। स्वस्थ मिट्टी में ऑक्सीजन होती है। लेकिन जब इसमें इतना सारा पानी हो तो ऑक्सीजन के लिए जगह बहुत कम पड़ जाएगी। 

मिट्टी में पानी भरने से जड़ें बाहर आ जाएंगी और पेड़-पौधों की स्थिरता में कमी आ जाएगी। और इस सब के ऊपर हमारी फसलें भी बह जाएंगी। ये पानी में डूब जाएंगी। और ये इंसानी प्रजाति के लिए कफ़न से कम नहीं होगा। 

अगर भुखमरी से आपकी जान बच भी जाती है तो ऑक्सीजन के गिरे हुए स्तर से शायद आप ना बच पाएं। हां, अगर एक साल तक रोज़ बारिश होती रहे तो ऐसे मौसम समाचार का कोई फ़ायदा नहीं है। 

लेकिन अगर ये होता है तो क्या हम कुछ कर भी सकते हैं?:-

पृथ्वी पर ऐसे बहुत से इलाक़े हैं जहां भारी मात्रा में बारिश होती है। चलिए पृथ्वी की सबसे गिली जगहों के बारे में जानते हैं। 

भारत का एक राज्य मेघालय ख़ासतौर से यहां का मौसिनराम ज़िला। यहां के हरे-भरे वर्षावनों की मदद से कार्बन डाईऑक्साइड सांस लेने लायक ऑक्सीजन में बदल जाती है। और लोग सैकड़ों सालों से यहां रह रहे हैं। 

Meghalaya Image credit :-  treksandtrails.org

इनके सबसे शानदार तरीक़ों में से एक है जीवित पुल बनाना। ये पुल वर्षावनों में रबर के पेड़ों से बनाए जाते हैं। एक बार बनने के बाद ये 500 साल या उससे ज़्यादा वक़्त तक ज़िंदा रह सकते हैं। 

तो, इस तरह के नम हालातों में भी उम्मीद की किरण देखी जा सकती है। लेकिन ये बात दिलचस्प है और शायद दुखद भी कि मेघालय और दूसरे भारी बारिश वाले इलाक़े भी अब सूख रहे हैं। और ज़ाहिर है कि इसके पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग का हाथ है। 

लेकिन ज़रा रुकिए। ग्लोबल वॉर्मिंग से तो बारिश बढ़ती है!, है ना?

बदकिस्मती से, जलवायु परिवर्तन एक पेचीदा विषय है। ये हमारे ग्रह(यानी कि पृथ्वी) के साथ हमारे बुरे बर्ताव और उस वजह से आने वाली उलझी हुई पर्यावरण समस्याओं का एक दुखद चक्र है। 

पर हम जानते हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग कई तरीक़ों से हमारी दुनिया पर असर डाल रही है। मेघालय और दुनिया की दूसरी जगहों के मामले में हम जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन से सूखे की दिक्कत हो रही है। 

मोनसून अब भी आता है पर पहले से कम बारिश के साथ। और फिर जंगलों की कटाई। अब हम जानते हैं कि इससे स्थानीय और वैश्विक स्तर के मौसमों पर असर पड़ता है। 

तो, अगर एक साल तक हर रोज़ बारिश होती रहती है तो हम इससे कुछ सीख सकते हैं। हम एक ख़ूबसूरत दुनिया में रहते हैं जहां ढ़ेर सारे जानवर और पेड़-पौधे हैं। 

पर, शाय़द हम अपनी दुनिया को इस तरह से बदलते जा रहे हैं कि चीज़ें हमारे काबू से बाहर होती जा रही हैं। और मैं ऐसा नहीं चाहता। क्या आप ऐसा चाहते हैं? इससे मैं कुछ सोचने पर मजबूर हूं। 

अगर इतनी बारिश होती है तो हमारे पावर सिस्टम्स का क्या होगा? क्या हो अगर 7 दिनों के लिए पृथ्वी की ऊर्जा चली जाए? जानने के लिए पढ़ते रहें ‘‘क्या हो अगर’’ 

        #meghalayarain #rain

         #बारिश #kyahoagr#whatif

एक टिप्पणी भेजें

please do not enter any spam link in the comment box

और नया पुराने